वैसे तो म्यूचुअल फंड्स और पब्लिक प्रोविडेंट फंड की कोई तुलना नहीं है। दोनों ही अलग तरह के निवेश के विकल्प हैं। म्यूचुअल फंड्स में रिस्क ज्यादा है तो रिटर्न भी ज्यादा है, जबकि PPF में सेफ्टी ज्यादा लेकिन रिटर्न कम है। दोनों ही निवेश के दो बिल्कुल अलग साधन हैं। जानते हैं इनके बारे में।
PPF (पब्लिक प्रोविडेंट फंड):
यह एक ऐसी स्कीम है जो फ्यूचर के लिए सेविंग करने में तो मदद करती ही है, साथ ही टैक्स की भी बचत कराती है। पीपीएफ के इन्वेस्टर्स को डिपॉजिट पर ब्याज मिलता है और ब्याज से होने वाली इस इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता है। पीपीएफ स्कीम के कुछ फायदे इस प्रकार हैं- गवर्नमेंट से सिक्योर्ड, सेक्शन 80C के तहत टैक्स से छूट, 500 रुपये भी जमा करने की सुविधा और ब्याज से तय इनकम।
PPF में 10 हजार मंथली निवेश बनेगा 35 लाख। मान लिजिए कि आप हर महीने PPF में 10 हजार रुपये निवेश करते हैं। PPF का मेच्योरिटी पीरियड 15 साल है और पोस्ट आफिस में 8 फीसदी सालाना कंपाउंडिंग ब्याज मिल रहा है। इस लिहाज से 15 साल में यह रकम 35.18 लाख बन जाएगी। यहां आपका कुल निवेश 18 लाख होगा, यानी इस पर 17 लाख से ज्यादा रिटर्न मिलेगा।
म्यूचुअल फंड (Mutual Fund)
इस समय काफी लोकप्रिय निवेश विकल्प है। अगर आप अपने निवेश पोर्टफोलियों में इक्विटी को शामिल कर अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो म्यूचुअल फंड एक अच्छा विकल्प है। हालांकि, यह पीपीएफ और आरडी की तरह सुरक्षित निवेश विकल्प नहीं है। म्यूचुअल फंड में रिटर्न अच्छा मिलता है, लेकिन इसमें थोड़ा जोखिम भी होता है। एसआईपी (SIP) के जरिए हर महीने एक तय राशि म्यूचुअल फंड में निवेश की जाती है। अगर आप एक हजार रुपये की एसआईपी बनाते हैं, तो पांच साल में आप म्यूचुअल फंड में कुल 60,000 रुपये निवेश कर पाएंगे।
पिछले 17 साल में इस स्कीम में 16 फीसदी सीएसजीआर रिटर्न मिला है। अगर आगे भी 15 साल के लिए रिटर्न 16 फीसदी की दर से ही मान लें तो 15 साल बाद 10 हजार मंथली निवेश 74.85 लाख बन जाएगा। जबकि आपका मूलधन 18 लाख है। यानी करीब 56 लाख रुपये का फायदा।