अभी रीसेंट में खबर आई है कि ओप्पो और वनप्लस मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कंपनियों को अपना बोरिया बिस्तर समेट करके वापस चीन में लौट जाना है। अब आप सोच रहे होंगे कि चीन में क्यों लौटना होगा तो बता दें कि वनप्लस और ओप्पो इन्होंने नोकिया की 5G की पेटेंट का चोरी किया हुआ है अर्थात बिना लाइसेंस के पेटेंट का कॉपीराइट कर लिया है। जिसके परिणाम स्वरूप नोकिया ने इन सब पर केस कर दिया था और नोकिया यह केस जीत चुका है। अब ओप्पो और वनप्लस को अपना बोरिया बिस्तर समेट करके अपने स्वदेश जाना ही होगा। अब उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा हुआ है क्योंकि ये कंपनियां सालों से धोखाधड़ी की आवरण में अपने प्रोडक्ट को यूरोपीय मार्केट में सेल कर रही थी जिससे यूरोप में उनका करोड़ों रुपए का व्यापार होता था।
चाइनीस स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों को व्यापार करना हो रहा है कठिन-
यूरोप में यूक्रेन और रूस के युद्ध से इंटरनेशनल मार्केट चरमराया हुआ है। जिसके परिणाम स्वरूप लोगों के पास इतना पैसा नहीं है कि वह वनप्लस जैसे फोन को परचेज कर सकें। यूरोप में बढ़ती महंगाई दर के मद्देनजर चाइनीस स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां जैसे ओप्पो और वनप्लस को अपने प्रोडक्ट को सेल करना नाकों चने चबाने जैसा हो रहा है। उनके पास कोई विकल्प ही नहीं बच रहा है कि प्रोडक्ट को वह कैसे सेल करे।
इतना भारी-भरकम डिस्काउंट दे करके अपने प्रोडक्ट को सेल कर रहे हैं। लेकिन उनको मुनाफा नहीं हो रहा है अब ऐसे में उन्हें उन्हें देश में लौटना होगा। आपको बता दें कि यूरोपीयन मार्केट में नोकिया ने जो केस किया हुआ था ओप्पो और 1 प्लस के ऊपर 5G टेक्नोलॉजी के पेटेंट से संबंधित वह केस ओप्पो वनप्लस हार भी चुका है जिसके बाद यूरोपीयन मार्केट में इनके शाख भी प्रभावित हुई है।
यूरोपीयन मार्केट में 4 परसेंट ही शेयर है चाइनीस स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों का-
यूरोपीयन मार्केट में सैमसंग एप्पल और नोकिया जैसे ब्रांड को सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है और उनकी मांग भी ज्यादा है। वही चाइनीस स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां ओप्पो और जियोमी और वनप्लस का मार्केट के अंदर सिर्फ 4% हिस्सेदारी है अर्थात यदि 1 शब्दों में कहा जाए कि यदि वहां का कोई ग्राहक मोबाइल परचेज करने आता है तो सबसे ज्यादा प्रायिकता उसकी मोबाइल खरीदने की सैमसंग और नोकिया के रहती है ना की चाइनीस ब्रांड की।